अपने घर लोटेंगी पचास हेरिटेज पेंटिंगकाँगड़ा कलम की फनकारी का एक एतिहासिक दस्तावेज सात साल की कवायद के बाद आख़िर अपने घर लौट रहा है। नेशनल मयूसियम दिल्ली से पचास हेरिटेज पेंटिंग को काँगड़ा मयूसियम धर्मशाला को सोंपने पर सहमती हो गई है। इस सिलसिले में प्रदेश के भाषा विभाग के निदेशक प्रेम शर्मा ने दिल्ली में समझोते पर साइन किए। इन पेंटिंग्स में काँगड़ा, बसौली , बिलासपुर व् चंबा शेली की पेंटिंग शामिल है। प्रदेश सरकार की और से वर्ष २००२ से इन पेंटिंग को लेन की कोशिश चल रही थी। सात साल के बाद घर आ रही हिमाचल की इन धरोहरों का बाकायदा बीमाकरवाया गया है ।इन को काँगड़ा कला संग्राहलय में रखने की पूरी व्यवस्था कर दी गई है । २२ डिग्री तापमान तथा ५० से ५५ प्रतिशत नमी की व्यवस्था की गई है । सितम्बर में पेंटिंग धर्मशाला पहुँच जाएँगी। प्रदेश का भाषा विभाग सितम्बर में काँगड़ा मयूज़ियम में पेंटिंग पर नेशनल स्तर का सेमिनार का भी आयोजन करने जा जहा है। इस आयोगं में नेशनल मयूज़ियम नइ दिल्ली का सहयोग मिलेगा ।विभाग ने जनजातीय अकादमी बडोदा के साथ समझोता किया है। इस समझोते के तहत सिरमौर जिला के जमता में हिमालयन स्टडीज रिसर्च सेण्टरनिर्माण किया जाएगा। यहाँ फोक , आर्ट, कल्चर व् संगीत पर रिसर्च होगी । यह इंदिरा गांधी नेशनल ओपन विशवविध्यालय का सेण्टर फॉर एक्सीलेंसी होगा और यहाँडिप्लोमा कोरस चालाये जायेंगे। यह सेण्टर २०१० में शुरू होगा। सरकार ने इस के लिए पचास बीघा लैंड अलॉट कर दी गई है।
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