बंदर घर के अंदर बंदर घर के अंदर

बंदर घर के अंदर हिमाचल के 12 जिलों में 10 जिलों में बंदरों के आतंक ने छुड़वा दी खेती-बाड़ी 3243 में से 2301 पंचायतों में कहर, हर साल हो रहा 500 करोड़ का नुक्सान मनरेगा के सहारे बंदर भगाने पर प्रदेश सरकार का विचार, केंद्र को भेजा प्रस्ताव प्रदेश में 7 लाख से ज्यादा हैं बंदर, इनसानों पर कर चुके एक हजार से ज्यादा हमले बंदरों के आतंक के चलते प्रदेश के किसान और बागबाग खासे परेशान है। यहां बंदरों ने ऐसी तबाही मचाई है कि कल तक जिन खेतों में भरपूर आनाज पैदा होता था, आज वे बंजर भूमि में तबदील हो रहे हैं। हजारों बीघा सिंचाई योग्य भमि पर भी इसलिए खेतीर और बागबानी नहीं हो रही कि बंदर खड़ी फसल को तबाह कर जाते हैं। प्रदेश के बंदरों का आंकड़ा सात लाख की संख्या पार कर चुका है। जंगलों में बढ़ते आदमी के हस्तक्षेप के चलते बंदर अब जंगलों से बाहर निकल कर खेतों और घरों तक में पहुंचने लगे हें। लाहुल स्पिति और किन्नौर जिलों को छोड़ प्रदेश के बाकि सभी जिलों में बंदरों का उत्पाद जारी है। प्रदेश की 3243 पंचायतों में 2301 पंचायतें बंदरों के कहर से प्रभावित हैं। यहां तक की प्रदेश की राजधानी शिमला में तो बंदरों का ऐसा आतंक है कि कहीं भी बंदर किसी भी तलाशी ले लेते हैं। ताजा सर्वेक्षण के अनुसार हीर साल बंदर प्रदेश में 340 करोड़ की फसल और और 170 करोड़ के फलों को बर्दाब कर रहे हैं। नजीतजन प्रदेश के हजारों परिवार अब खेती और बागबानी को छोड़ चुके हैं। बंदरों की समस्या के चलते प्रदेश में कृषि और बागबानी के वजूद पर संकट मंडरा रहा है। प्रदेश के 30 प्रतितशत किसान खेती से अपने हाथ खींच चुके हैं, जबकि इससे भी ज्यादा किसान कोई दूसरा विकल्प न मिल पाने के चलते मजबूरन जान जोखिम में डाल कर बंदरों से अपनी फसल की हिफाजत कर रहे हैं। सिरमौर, शिमला और सोलन जिलो में बंदरों का सबसे ज्यादा आतंक है। सिरमौर में 81 फीसदी, शिमला में 57 फीसदी, जबकि सोलन मे 71 फीसदी किसान बंदरों के कहर से प्रभावित हैं। चंबा की 38 प्रतिशत, कांगड़ा और कुल्लू की 28 प्रतिशत, बिलासपुर की 25 प्रतिशत जबकि मंडी की 19 प्रतिशत पंचायतों पर बंदरों का कहर जारी है। हर प्रभावित पंचायत में हर साल औसतन 10 लाख का नुक्सान बंदरों की वजह से है। कल तक सिर्फ फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बंदर अब हमलावर भी होने लगे हैं। वन विभाग की मानें तो अभी तक एक हजार से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जब बंदरों ने प्रदेश के लोगों को काट खाया है। हालाकि प्रदेश सरकार ने बढ़ते बंदरों से निपटने के लिए बंदर संरक्षण पार्क और बंदरों की नसबंदी करने की मुहिम शुरू की है लेकिन संरक्षण पार्क की मुहिम औंधे मुह गिरी हे तो बंदरों की नसबंदी का काम लक्ष्य से कोसों दूर है। शिमला का तारादेवी बंदर रसरंक्षण पार्क बंद हो चुका है तो लाखों फूंकने के बावजूद पिछले तीन साल में प्रदेश में केवल 17 हजार बंदरों की ही नसबंदी हो पाई हे। शिमला के टुटूकंडी स्थित नसबंदी केंद्र में इस साल नौ हजार बंदरों की नसबंदी का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वित्तीय वर्ष के आखिरी दिनों तक केवल यहां पांच हजार बंदरों की ही नसबंदी की जा सकी है। टुटूकंडी स्थित स्टरलाइजेशन केंद्र के प्रभारी डीएफओ योगेश कुमार का कहना है कि पिछले तीन सालों में 17 हजार बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। कांगड़ा जिला के गोपालपुर में भी बंदरों की नसबंदी की जा रही हअै। जून 2009 में शुरू हुए इस केंद्र में अभी तक 3 हजार बंदरों की नसबंदी की जा चुकी हे। यहां कांगड़ा, हमीरपुर और चंबा जिलों से पवकड़ कर बंदर लाए जाते हैं। बंदर पकडऩे के लिए वन विभाग फरीदाबाद के बदरूद्दीन की सेवाएं ले रहा है। बंदरों की नसबंदी करने वाले डॉक्टर विजय भारती कहते हैं कि यहां होने वाली नसंबदी के परिणाम कुछ समय पर बाद सामने आएंगे। उधर हमीरपुर जिला में स्थापित नसबंदी केंद्र में इस साल 3 हजार से ज्यादा बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष डा। कुलदीप तनवर कहते हैं कि बंदरों के आतंक से प्रदेश के किसानों की रीढ़ तोड़ दी है। बंदरों और अन्य जंगली जानवरों के कहर का कोई हल नहीं निकलने पर वह सारा दोष सरकार के सिर मढ़ते हें। उनका कहना है कि वेशक प्रदेश में सत्तासीन वर्तमान भाजपा सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव में जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को बचाने के मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद यह मुद्दा नजरअंदाज कर दिया गया है। वह कहते हैं कि 14 जुलाई 2007 को सिरमौर जिला के नौहराधार से ऑपरेशन कलिंग शुरू किया गया था। बंदरों ने निजात पाने के लिए इस ऑपरेशन को दोबारा शुरू करना जरूरी हो गया है। उनका कहना है कि बंदरों की समस्या से निजात पाए जाने के लिए प्रदेश से बंदरों का निर्यात करने पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। हिमाचल ्रपदेश सब्जी उत्पादक महासंघ के अध्यक्ष संजय चौहान का कहना है कि बंदरों के आतंक के चलते खेती अब घाअे का सौदा बनती जा रही है। बंदरों की इस समस्या का हल निकालने के लिए सरकार को सीरियस प्रयास करने चाहिए। सीपीएम के महासचिव राकेश सिंघा का आरोप है कि प्रदेश सरकार किसानों - बागबानों की समस्याओं को लेकर कतई गंभीर नहीं है। उनका कहना है कि कभी प्रदेश में भारी मात्रा में आनाज पैदा करने वाले किसान भी अब बंदरों के आतंक के चलते सस्ते राशन की सरकारी दुकानों से राशन खरीदने काप मजबूर हैं। भाजपाके राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश के वन मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का कहना है कि प्रदेश सरकार ऐसी योजनाएं बना रही है जिससे बंदरों को जंगलों के अंदर हीी भसेजन उपलब्ध हो जाए और उन्हें गांवों और शहरों की तरफ रुख न करना पड़े। वह कहते हैं कि प्रदेश में स्थापित बंदर नसबंदी केंद्रों के नतीजे भी जल्द हीी सामने आने वाले हैं। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि खेतों से बंदरों को भगाने के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्र्रम (मनरेगा)के तहत राखे तैनात करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। प्रस्ताव सिरे चढ़ता है तो जहां बंदरों से प्रदेश के किसानों को होने वाले नुक्सान से राहत मिलेगी, वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बहरहाल अभी तक प्रदेश के किसान बागबान बेबस हैं और बंदर जंगल से निकल कर घर के अंदर डेरा डाल चुके हैं।

मरने के बाद जीती एरियर की लड़ाई

आरटीआई एक्ट का कमाल, आखिर मिल ही गया सरकारी माल

मरने के बाद जीती एरियर की लड़ाई

प्रदेश वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड ने रिलीज की साढ़े चाल की राशि

बोर्ड के 75 सेवानिवृत कर्मचारियों को उनका रूका हुआ मिला एरियर
उनकी उम्मीद टूट चुकी थी कि सरकार के पास फंसा उनका पैसा उन्हें वापस मिलेगा। ऐरियर के पैसे को लेने के लिए वे सालों से पत्र व्यवहार करते आ रहे थे लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात ही रहता आया था। यहां तक कि अपने ऐरियर का इंतजार करते करते कई हकदार तो स्वर्ग सिधार गए। सालों के प्रयासों के बावजूद जो पैसा नहीं मिल पा रहा था, कमाल देखिए, सूचना अधिकार कानून के एक आवेदन ने उन्हें वर्षों से रुकी हुई लाखों की रकम दिलवा दी। यहां तक कि मरने के बाद भी सरकारी पैसा कर्मचारियों के परिजनों को मिल गया। आरटीआई ब्यूरो मंडी के प्रयास ने सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला के अधीन काम करने वाले प्रदेश के पांच कार्यालयों मंडी, बिलासुपर, महासू, सिरमौर और चंबा के 75 सेवानिवृत कर्मचारियों को उनका रुके हुए 4,38,937 रुपए करीब 13 साल के बाद आखिर मिल गए। इस मामले को आरटीआई ब्यूरो के मेंबर रूप सिंह सनोरिया सामने लाए और आरटीआई ब्यूरो के प्रयासों ने वर्षों से लंबित मामले में लोगों को अपने हक मिले। 24 साल पहले रिवाइज हुआ था स्केल सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड के प्रदेश के विभिन्न पांच कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचरारियों का स्केल 1986 में रिवाइज हुआ था। रिवाइल स्केल का 85 प्रतिशत ऐरियर 1997 में रिलीज हुआ था। ऐरियर के हकदार तमाम प्रयासों के बावजूद बाकि बचा 15 प्रतिशत एरियर का भुगतान करने के लिए बोर्ड के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही थी। हर बार अधिकारी- कर्मचारी टराल मटोल कर जाते थे। इस एरियर के सभी हकदार सेवानिवृत हो चुके थे और यहां तक कि कई तो स्वर्ग भी सुधार चुके हैं। ट्रिब्यूनल के बाद कोर्ट में है फाइल स्टेट सोशल वेल्फेयर बोर्ड के अधिकारियों - कर्मचारियों की आनाकानी से तंग आकर बोर्ड के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत रहे कर्मचारियों ने स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था। ट्रिब्यूनल के भंग हो जाने के बाद कर्मचारियों के एरियर दावे का मामला प्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गया। हाईकोर्ट में यह मामला पेंडिंग है, इस बीच सूचना अधिकार कानून के तहत श़ुरू हुए सवालों के जवाब देते न बने तो स्टेट वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड के आला अधिकारियों ने एरियर का पैसा रिलीज करना ही मुनासिब समझा। बोर्ड ने करीब साढ़े चार लाख की राशि उनके पूर्व कर्मचारियों को जारी कर दी है। इंट्रेस्ट के लिए नोटिस आरटीआई ब्यूरो के संयोजक लवण ठाकुर का कहना है कि स्टेट वेलफेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला को प्रदेश के पांच विभिन्न जिलों में सेंटर का संचालन करने के लिए सेंट्रल सोशल वेल्फेयर बोर्ड की ओर से ग्रांट जारी की जाती थी। सूचना अधिकार कानून के तहत जब सेंट्रल सोशल वेल्फेयर बोर्ड दिल्ली और स्टेट सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला ने सूचना मांगी तो पैसा रोकने का कोई पुष्ट कारण न होने की सूरत में बोर्ड ने राशि जारी करना मुनासिब समझा। उनका कहना है कि एरियर की राशि का भुगतान लंबे अर्से तक लंबित रहा, ऐसे में इस राशि पर ब्याज मिलना चाहिए थे। आरटीआई ब्यूरो बोर्ड को नोटिस जारी कर रहा है।

Kisi ki muskurahaton pe ho nisarKisi ka dard mil sake to le udhaarKisi ke waaste ho tere dil mein pyaarJeena isi ka naam haiKisi ki muskurahaton pe ho nisarKisi ka dard mil sake to le udhaarKisi ke waaste ho tere dil mein pyaarJeena isi ka naam haiMaana apni jeb se fakeer heinPhir bhi yaaron dil ke ham ameer heinMaana apni jeb se fakeer heinPhir bhi yaaron dil ke ham ameer heinMitte jo pyaar ke liye woh zindagiChale bahaar ke liye woh zindagiKisi ko ho na ho hamein to aitbaarJeena isi ka naam haiKisi ki muskurahaton pe ho nisarKisi ka dard mil sake to le udhaarKisi ke waaste ho tere dil mein pyaarJeena isi ka naam haiRishta dil se dil ke aitbaar kaZinda hai hami se naam pyaar kaRishta dil se dil ke aitbaar kaZinda hai hami se naam pyaar kaKi marke bhi kisi ko yaad ayengeKisi ke aansuo mein muskuraanyengeKahega phool har kali se baar baarJeena isi ka naam haiKisi ki muskurahaton pe ho nisarKisi ka dard mil sake to le udhaarKisi ke waaste ho tere dil mein pyaarJeena isi ka naam hai

व्यास के तट पर त्रिलोकीनाथ


पुरानी मंडी में व्यास के तट पर स्थित त्रिलोकीनाथ मन्दिर,वास्तुशिल्प का अनूठा उदहारण ।

मंडी से लड़ी जायेगी इंदौर की लडाई

आरटीआईब्यूरो ने जगाई मध्यप्रदेश के वित्त निगम के कर्मी की आस
मंडी से लड़ी जायेगी इंदौर की लडाई
डीडी न्यूज़ के जानने का हक़ प्रोग्राम से मिला ब्यूरो का पता
आरटीआई ब्यूरो ने मांगी वित्त निगम मध्यप्रदेश से सूचना
आरटीआई ब्यूरो डेस्क।
सूचना क्रांति के दौर में देश में सूचना कानून के चलते हजारों मील दूर बैठ कर भी अपने हक़ की लडाई लड़ी जा सकती है। आरटीआई ब्यूरो मंडी ने मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के रहने वाले एक शख्स के हक़ की लडाई लड़ने का फैसला कर उसकी उम्मीद को पर लगा दिए हैं। ब्यूरो ने उपाध्याय के हक़ की लडाई लड़ने की शुरुआत कर दी है।
उपाध्याय मध्यप्रदेश वित्त निगम के कर्मचारी हैं। बतौर उपाध्याय निगम में तबादला नियम नाम की नाम की कोई चीज नहीं है।
बदली हो कर निगम के साहब तो कभी घर से बाहर नहीं गए लेकिन कर्मचारियों को कालापानी तक का फरमान सुना दिया जाता है। उपाध्याय ख़ुद भी एसे ही तबादले का शिकार हुए हैं।
निगम के दोहरे मापदंडों का शिकार हुए गिरीश उपाध्याय को उस वक्त उम्मीद की किरण नजर आई जक दी दी न्यूज़ पर जानने का हक़ कार्यक्रम में उन्हें आरटीआई ब्यूरो मंडी के बारे में जानकारी मिली। सूचना अधिकार कानून को हथियार बना कर भ्रस्ताचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले आर टी आई ब्यूरो मंडी की सक्सेस स्टोरी को दी दी न्यूज़ ने दो एपिसोड में प्रसारित किया था।
कार्यक्रम में प्रस्तुत ब्यूरो की मुहीम से प्रभावित हो कर उपाध्याय ने आर टी आई ब्यूरो को पत्र किख कर उसकी लडाई लड़ने की गुहार लगाई । उनके पत्र के मिलते ही आर टी आई ब्यूरो ने हिमाचल प्रदेश से ही इंदौर की लड़ाई लड़ने शुरुआत कर दी है। ब्यूरो ने वित्त निगम मध्य प्रदेश से सूचना का अधिकार कानून २००५ के तहत जानकारी हासिल करने की कवायद शुरू कर दी है।
जरूरी दस्तावेज हासिल कर ब्यूरो दोहरे मापदंडों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार के वित्त निगम के खिलाफ मोर्चा खोलेगा ।
आर टी आई ब्यूरो के प्रदेश संयोजक लवन ठाकुर का कहना है की ब्यूरो के लिए यह बड़ी कामयाबी है और ब्यूरो इंदौर वित्त निगम के कर्मचारी की लडाई लड़ने की शुरुआत कर दी है। मध्य प्रदेश वित्त निगम से सूचना हासिल करने के बाद असली लडाई शुरू होगी।

rti bureau : fighting angaint togather

RTI BUREAU
Fighting Corruption Togather
About us : RTI Bureau is a Mandi Based citizens movement trying to ensure just, transparent and accountable governance.
RTI BUREAU
Is not a NGO.
Is a people movement for the renforcement of democratic values.
Stands and strive for strengthening of practices and system which encourage participatory democracy including transparency and accountability.
RTI BUREAU
Runs on time, money and ideas contributed by the people.

Does not accept projects based funds from any donor organisation whether foreign or domestic.
Meets its financial liabilities through contributions made by individuals.
THE TEAM
The following work for RTI Bureau
SAMEER KASHYAP
Resident of of Mandi town is a professional lawyer practicing in Mandi district court. A theater activist and a good singer. He is involved in the sphere of the Urban Development like municipal bodies.
SANT RAM
A farmer by profession and an ardent leftist. He is a resident of a far of place in the remote parts of Mandi District, Sudhrani in Bali- Chowki, Sub Tehsil. The culture here still prossesses the trible elements. He is relentlessly working for the betterment of the village folks by trying to making the working of Rural Development transparent.He is working in the field of NAREGA.
VINOD KUMAR BHAVUK
He is resident of the largest District of HImachal, Kangra. Serves as the Special correspondent of the Leading Hindi daily. He is primarily raking up the issues of District Kangra and Chamba.
AJAY KUMAR
Resident of Hamirpur and working as a District Correspondent of a leading Hindi Daily.
DEEPAK SOOD : Before working of RTI he used to run a chemists shop in Bus- Stand dhimla. Resident of Lalpani shimla is earnestly working to reveal the truth of Medical Business.
ROOP UPADHYAY
A theatre artist runs his own theatre group PRYAS . He is working for a leading English daily as o journalist. Resident of MAndi town.
RAVI RANA
He is associated with many social, cultural and religious organisations. A staunch socialist. An Urdu poet and member of progressive Writters Association. He is a professional lawyer, practicing in Distric Court Mandi. he is giving the legal guidance to the RTI Bureau. He resides in the satellite city of MANDI- Ner-Chowk.
MAHESH SHARMA
An ardent environmentalist and a full time lawer by profession. He is resident of Sunder- Nagar a Sub Divisonal head quarter of Mandi Distric. Corespondent for a leading English daily from Sunder- Nagar.
KAMAL DEV SAINI
A progressive farmer residing in a famous Balh Valley . He is highly fascinated by the result of RTI Act 2005 and extencively using the RTI to reveal the truth of farming community. A graduate from H.P. university. A social worker working in the field of organic farming.





सूचना से सामने आएगा सच


आरटीआई ब्यूरो किस लिए ?
आरटीआई ब्यूरो किस लिए ? कौन हैं जो इस ब्यूरो से जुड़े हैं ? ब्यूरो कि शुरुआत केसे हुई और किस तरह से आम ग्रामीण, लोक कलाकार, पत्रकार, वकील, साहित्यकार, सेवानिवृत अधिकारी ब्यूरो के सदस्य बनते गए। ब्यूरो ने किन किन मसलों को उजागर किया? सिलसिलेवार अ़ब हम ऑनलाइन सूचना देने को को हाजिर हैं।ब्लॉग के नाम से जाहिर है कि हमारे इरादे क्या हें ? हम हर पीड़ित के साथ हें जो अपनी लडाई लड़ने के हक़ मैं है।
ब्लॉग कि शुरुआत पर सारे सदस्यों को मुबारक । इस उम्मीद के साथ कि पीडितों कि उम्मीद बन चुके आरटीआई ब्यूरो मंडी कि हर सूचना ऑनलाइन हो।
लवन ठाकुर
प्रदेश संयोजक आरटीआई ब्यूरो मंडी ।



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